
पैसों की कमी ने रोकी पढ़ाई…फिर भी MBBS तक पहुंची, दिदाई जनजाति से पहली छात्रा ने NEET में रचा इतिहास
Success Story NEET: शिक्षा जीवन बदलने का सबसे बड़ा साधन है. इसका एक बेहतरीन उदाहरण हैं ओडिशा की मलकानगिरी जिले की रहने वाली चम्पा रस्पेड़ा (Champa Raspeda) . दिदाई जनजाति (PVTG – Particularly Vulnerable Tribal Group) की यह बेटी इतिहास रचते हुए पहली बार NEET परीक्षा क्वालीफाई करने वाली छात्रा बनी है. उनकी सफलता ने न केवल जनजातीय समाज को प्रेरित किया है, बल्कि यह साबित किया है कि कठिन परिस्थितियों में भी हौसला और मेहनत के बल पर बड़े सपने पूरे किए जा सकते हैं. यहां देखें चम्पा रस्पेड़ा की सफलता की कहानी (NEET Success Story of Champa Raspeda) जो आपको आगे बढ़ने का हौसला देगी.
चम्पा की शिक्षा और संघर्ष (Success Story NEET)
रिपोर्ट्स के मुताबिक, चम्पा रस्पेड़ा अमलिबेड़ा गांव की रहने वाली हैं. उनके पिता लक्ष्मू रस्पेड़ा एक छोटे किसान हैं. आर्थिक तंगी के बावजूद चम्पा ने अपनी पढ़ाई जारी रखी. उन्होंने 10वीं की पढ़ाई SSD गर्ल्स हाई स्कूल, चित्रकोंडा से पूरी की और 12वीं विज्ञान SSD स्कूल, गोविंदपल्ली से पास की. परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उन्हें BSc की पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी.
शिक्षक का सहयोग और NEET सफलता (Success Story NEET)
चम्पा के जीवन में सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब उनके पूर्व विज्ञान शिक्षक उत्कल केशरी दाश ने उन्हें बालासोर में मुफ्त NEET कोचिंग दिलाने में मदद की. कड़ी मेहनत और लगन से चम्पा ने पहली ही कोशिश में NEET परीक्षा पास की और फकीर मोहन मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल, बालासोर में MBBS में प्रवेश पाया.
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सम्मान और प्रेरणा (NEET Success Story of Champa Raspeda)
ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने चम्पा को बधाई दी और कहा कि उनकी सफलता राज्य के युवाओं के लिए एक प्रेरणा है. मुख्यमंत्री ने उम्मीद जताई कि भविष्य में चम्पा एक अच्छे डॉक्टर बनकर गरीब और पिछड़े वर्ग की सेवा करेंगी.
दिदाई जनजाति के बारे में (NEET Success Story of Champa Raspeda)
दिदाई जनजाति ओडिशा की 13 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTG) में से एक है. यह जनजाति मुख्य रूप से मलकानगिरी जिले के दुर्गम इलाकों में रहती है और आजीविका के लिए झूम खेती, जंगल से उत्पाद एकत्र करने और छोटे पैमाने की खेती पर निर्भर है.
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