
scooter mechanic son secures 94th rank in upsc engineering exam know success story, दादा सूबेदार, पिता स्कूटर मैकेनिक, बेटे ने UPSC परीक्षा में हासिल किया 94th रैंक
Last Updated:
Sultanpur News: कहते हैं कि मन में उत्साह और जज्बा हो तो बड़ी से बड़ी मुश्किल आ जाए, व्यक्ति जरूर सफल हो जाता है. ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी सुल्तानपुर के रहने वाले एक नौजवान की है. उसके पिता स्कूटर बनाने का काम करते हैं, फिर भी छात्र ने यूपीएससी में अपना परचम लहराया.
सुल्तानपुर: कहते हैं कि अगर दिल में हौसला और जुनून हो तो कोई भी आदमी किसी भी काम को आसानी से कर सकता है. इसी का उदाहरण पेश किया है सुल्तानपुर के रहने वाले एक नौजवान ने, जिनका परिवार काफी मुश्किलों में और आर्थिक संसाधनों के अभाव में जूझा. अब स्कूटर बनाने वाले मैकेनिक के बेटे ने संघ लोक सेवा आयोग की इंजीनियरिंग परीक्षा में 94 रैंक लाकर न सिर्फ अपने परिवार का नाम रोशन किया, बल्कि सुल्तानपुर जिले का भी नाम रोशन किया है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस युवक की कहानी क्या है.
परिवार का नाम किया रोशन
सुल्तानपुर शहर की पंजाबी कॉलोनी निवासी एक साधारण परिवार के बेटे ने असाधारण सफलता हासिल कर पूरे जिले, प्रदेश और देश में सिख समाज को गौरवान्वित किया है. स्कूटर मैकेनिक मंजीत सिंह के पुत्र मनमीत सिंह ने संघ लोक सेवा आयोग UPSC (ESE) की प्रतिष्ठित परीक्षा में 94वीं रैंक प्राप्त कर इतिहास रच दिया है. इस उपलब्धि से न केवल परिवार में, बल्कि पूरे सुल्तानपुर में खुशी और गर्व का माहौल है. मनमीत सिंह की इस सफलता ने यह साबित कर दिया कि मेहनत, लगन और आत्मविश्वास के बल पर किसी भी मंजिल को हासिल किया जा सकता है.
यहां से हुई थी पढ़ाई
पिता मंजीत सिंह ने लोकल 18 से बताया कि मनमीत सिंह ने मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MNNIT), इलाहाबाद से सिविल इंजीनियरिंग में पढ़ाई की. इसके बाद उन्होंने GATE परीक्षा में शानदार प्रदर्शन करते हुए 91 प्रतिशत अंक हासिल किए. वर्तमान में वे IOCL पानीपत में इंजीनियर के पद पर कार्यरत रहते हुए UPSC की तैयारी कर रहे थे और कड़ी मेहनत के दम पर इस मे 94वीं रैंक प्राप्त की.
साधारण है परिवार
पंजाबी कॉलोनी के रहने वाले मनमीत सिंह का परिवार बेहद साधारण है. उनके दादा स्वर्गीय इंद्र सिंह भारतीय सेना में सूबेदार पद से सेवानिवृत्त हुए थे. दादा के आदर्शों और सैन्य अनुशासन से ही मनमीत में देशभक्ति और राष्ट्रप्रेम की भावना विकसित हुई. उनकी दादी भी अत्यंत धार्मिक और गुरु-भक्त थीं, जिनके संस्कारों का प्रभाव पूरे परिवार पर रहा है. मनमीत की माता एक गृहिणी हैं, जिनकी कुछ वर्ष पूर्व एक गलत ऑपरेशन के कारण दोनों आंखों की रोशनी चली गई. इसके बावजूद परिवार ने कभी हिम्मत नहीं हारी और मनमीत ने कठिन परिस्थितियों को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया. उनकी दो बड़ी बहनें हैं, जिनका विवाह हो चुका है.
मनमीत के पिता मंजीत सिंह दरियापुर क्षेत्र में ‘मनजीत ऑटो सर्विस’ नाम से स्कूटर मैकेनिक की दुकान चलाते हैं. सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने अपने बेटे की पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने दी. मनमीत सिंह की यह सफलता हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा है.
About the Author

आर्यन ने नई दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया से पत्रकारिता की पढ़ाई की और एबीपी में काम किया. उसके बाद नेटवर्क 18 के Local 18 से जुड़ गए.
Source link



