
BEd का घटा कद, DElEd के बाद मौके ज्यादा, शिक्षक भर्ती के लिए नए नियम
BEd Degree Rules: टीचिंग फील्ड में करियर बनाने के लिए बीएड या डीएलएड को लेकर अक्सर कंफ्यूजन होता है. बीएड और डीएलएड में फर्क वैसे तो हर कोई जानता है, लेकिन चलिए आसान भाषा में बताते हैं. डीएलएड (Diploma in Elementary Education) एक डिप्लोमा कोर्स है, जबकि बीएड (Bachelor of Education) ग्रेजुएशन लेवल की डिग्री.
अब आप सोच रहे होंगे कि नौकरी पाने की दिशा में दोनों कोर्स में क्या फर्क है तो सीधी बात है कि जो डीएलएड करने वाला छात्र होता है, वह प्राइमरी क्लास यानी कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को पढ़ा सकता है. वहीं जो BEd करता है, वह क्लास 6 से लेकर 12 तक के बच्चों को पढ़ाने के लिए तैयार होता है.
BEd को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
पहले सबको यही लगता था कि स्कूल में टीचर बनने के लिए बीएड जरूरी है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने साल 2023 में एक फैसला सुनाया था जिसमें उन्होंने साफ कर दिया था कि प्राइमरी टीचर भर्ती में सिर्फ डीएलएड ही मान्य रहेगा. बीएड वालों को अब थोड़ा झटका लगा है क्योंकि उनका सपना थोड़ा मुश्किल होता दिख रहा है.
असल में यह बदलाव इसलिए आया है ताकि प्राइमरी क्लास के टीचर्स खास तौर पर बच्चों को पढ़ाने में एक्सपर्ट हों. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि छोटे बच्चों की पढ़ाई में विशेष स्किल चाहिए, और डीएलएड यही फोकस करता है. तो अगर आप छोटे बच्चों को पढ़ाना पसंद करते हैं, तो डीएलएड आपका बेस्ट ऑप्शन बन गया है.
क्या है DElEd?
टीचिंग सेक्टर में नौकरी पाने के लिए DElEd एक शानदार कोर्स बन गया है. यह कोर्स दो साल का होता है और एक डिप्लोमा प्रोग्राम के रूप में पूरा किया जाता है. इस कोर्स में दाखिले के लिए अलग-अलग राज्यों में प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है, ताकि योग्य छात्र ही इसमें शामिल हो सकें.
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने DElEd को सभी प्राइमरी टीचर्स के लिए अनिवार्य कर दिया है. इसका मतलब यह हुआ कि जो भी छात्र छोटे बच्चों को पढ़ाना चाहता है, उसे यह कोर्स करना जरूरी हो गया है. अब DElEd करने वाले युवाओं को नौकरी की गारंटी मिलने का रास्ता साफ हो गया है.
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