
शब्दों से जुर्म पकड़ने वाला विशेषज्ञ, जानिए Forensic Linguist के अनोखे प्रोफेशन के बारे में
Forensic Linguist: जुर्म की तह तक पहुंचने का नया तरीका, हम अक्सर फिल्मों या न्यूज में देखते हैं कि पुलिस फिंगरप्रिंट, डीएनए या CCTV फुटेज के आधार पर अपराधियों को पकड़ती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अब अपराध की जांच में भाषा भी अहम भूमिका निभाने लगी है? जी हां, Forensic Linguist यानी फॉरेंसिक भाषा विशेषज्ञ, अब जुर्म से जुड़ी बातचीत, खत, ईमेल और सोशल मीडिया पोस्ट को पढ़कर अपराध के सुराग ढूंढते हैं.
Forensic Linguist कौन होता है?
Forensic Linguist वह व्यक्ति होता है जो शब्दों, भाषा के प्रयोग, लेखन की शैली, वाक्य-विन्यास और बोली को देखकर यह अनुमान लगाता है कि किसने लिखा या बोला, क्यों लिखा, और उसके पीछे की मंशा क्या थी. वे किसी कथन या दस्तावेज़ को इस तरह जांचते हैं जैसे कोई डिटेक्टिव जांच करता है.
कहां-कहां पड़ती है जरूरत?
Forensic Linguist की ज़रूरत तब पड़ती है जब किसी केस में कोई लिखित या मौखिक बयान जांच का हिस्सा बनता है. उदाहरण के लिए:
- धमकी भरे पत्र या ईमेल
- गुमनाम चिट्ठी
- फोन पर बातचीत की रिकॉर्डिंग
- सोशल मीडिया पोस्ट
- आरोपों से भरा कोई आवेदन
जांच एजेंसियां Forensic Linguist की मदद से यह तय करती हैं कि यह लेखन किसका हो सकता है या इसमें कोई झूठ या भ्रम है क्या.
काम कैसे करता है Forensic Linguist?
Forensic Linguist किसी दस्तावेज या बयान को कई स्तरों पर जांचता है. वह भाषा के छोटे-छोटे पहलुओं पर ध्यान देता है, जैसे—
- शब्दों का चयन
- वाक्य की लंबाई
- वर्तनी की गलतियां
- खास शब्दों की आदत
- उच्चारण या बोलने की शैली
इन बारीकियों से वह यह समझने की कोशिश करता है कि क्या यह वही व्यक्ति है जिसने पहले भी ऐसा कुछ लिखा था, या यह कोई और हो सकता है.
भाषा बनती है सबूत
अक्सर ऐसा देखा गया है कि अपराधी पहचान छिपाने के लिए गुमनाम पत्र लिखते हैं, लेकिन उनकी भाषा और शब्दावली उन्हें पकड़वा देती है. Forensic Linguist उन शब्दों की शैली को पहले से मौजूद संदिग्ध के लिखे हुए दस्तावेजों से मिलाता है. इस प्रक्रिया को ऑथरशिप एनालिसिस कहा जाता है.
कैसे बने Forensic Linguist?
इस करियर में आने के लिए सबसे जरूरी है — भाषा की गहरी समझ. अगर आप हिंदी, अंग्रेजी या किसी अन्य भाषा में अच्छा लिखते, समझते और सोचते हैं, तो ये करियर आपके लिए हो सकता है.
शैक्षणिक योग्यता:
- ग्रेजुएशन: भाषा विज्ञान (Linguistics), अंग्रेजी, हिंदी या अन्य भाषाओं में
- पोस्ट ग्रेजुएशन: एप्लाइड लिंग्विस्टिक्स या फॉरेंसिक लिंग्विस्टिक्स
- डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स: Forensic Linguistics में
भारत में कहां होता है ये कोर्स?
भारत में कुछ प्रमुख संस्थान हैं जो भाषा विज्ञान और फॉरेंसिक लिंग्विस्टिक्स से जुड़े कोर्स कराते हैं:
- National Forensic Sciences University (NFSU), गांधीनगर
- Central Institute of Indian Languages (CIIL), मैसूर
- JNU, दिल्ली – भाषा विज्ञान विभाग
इसके अलावा कई अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे Coursera और FutureLearn पर भी यह कोर्स उपलब्ध है.
नौकरी के अवसर कहां मिलते हैं?
एक प्रशिक्षित Forensic Linguist को निम्नलिखित जगहों पर काम करने का अवसर मिलता है:
- पुलिस और जांच एजेंसियों (CBI, NIA, IB)
- अदालतों और लॉ फर्म्स
- गुप्तचर एजेंसियों और साइबर क्राइम विभाग
- विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों
- न्यूज़ मीडिया और रिसर्च फील्ड
- प्राइवेट फॉरेंसिक लैब्स
- स्वतंत्र सलाहकार (Freelancer) के रूप में
सैलरी और करियर ग्रोथ
शुरुआती सैलरी 25,000 रुपए से 40,000 रुपए प्रति माह तक हो सकती है. अनुभव बढ़ने के साथ यह सैलरी 80,000 रुपए से 1.5 लाख रुपए प्रति माह तक भी जा सकती है. अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट्स में काम करने का मौका भी मिलता है.
क्यों बढ़ रही है इसकी मांग?
डिजिटल जमाने में जब अपराधी सोशल मीडिया, मेल या चैट्स के जरिए अपराध करते हैं, तब भाषा की जांच करना बेहद जरूरी हो जाता है. अब ज्यादातर साइबर क्राइम में फॉरेंसिक लिंग्विस्ट की भूमिका बढ़ती जा रही है.
क्या जरूरी स्किल्स चाहिए?
अगर आप इस क्षेत्र में आना चाहते हैं, तो आपके अंदर ये योग्यताएं होनी चाहिए:
- भाषा की गहरी समझ (हिंदी, अंग्रेजी, क्षेत्रीय भाषाएं)
- विश्लेषण करने की आदत
- विस्तार से सोचने की क्षमता
- डाटा और टेक्स्ट पर काम करने का धैर्य
- कंप्यूटर व एनालिटिकल टूल्स का ज्ञान
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