
UPSC Exam: यूपीएससी की तैयारी! पहले समझ लें रैंकिंग का सिस्टम, तभी मिलेगा IAS-IPS
UPSC Exam in Hindi: अगर कोई भी उम्मीदवार संघ लोक सेवा आयोग की तैयारी कर रहा है और IAS, IPS, IFS बनना चाहता है तो आपको रैंकिंग के बारे में जरूर जानना चाहिए. जब कोई यूपीएससी परीक्षा पास कर लेता है तो उम्मीदवारों की रैंकिंग और सेवा आवंटन (IAS, IPS, IFS, आदि) एक तय प्रक्रिया के आधार पर किया जाता है. इस प्रक्रिया में मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार के अंकों को ध्यान में रखा जाता है. आइए इस लेख के माध्यम से रैंकिंग के बारे में पूरी जानकारी जानते हैं.
UPSC Exam: प्रारंभिक परीक्षा (प्रीलिम्स)
यूपीएससी परीक्षा का पहला चरण प्रारंभिक परीक्षा है, जिसमें दो पेपर होते हैं. पहला सामान्य अध्ययन (जीएस) पेपर होता है, जिसके अंक मेरिट के लिए गिने जाते हैं. दूसरा पेपर CSAT (सिविल सेवा योग्यता परीक्षा) होता है, जो केवल क्वालीफाइंग प्रकृति का होता है. इसमें उम्मीदवारों को कम से कम 33% अंक लाना अनिवार्य है. यह परीक्षा केवल मेन्स परीक्षा के लिए पात्रता निर्धारित करती है, लेकिन इसमें प्राप्त अंक अंतिम मेरिट सूची में शामिल नहीं होते हैं.
मुख्य परीक्षा
मुख्य परीक्षा में कुल 9 पेपर होते हैं, जिनमें से 7 पेपर मेरिट में जोड़े जाते हैं, जबकि 2 भाषा के पेपर केवल क्वालीफाइंग होते हैं. मेरिट में शामिल विषयों में निबंध, सामान्य अध्ययन (जीएस) के चार पेपर और वैकल्पिक विषय के दो पेपर शामिल हैं. उम्मीदवारों की मेरिट सूची इन परीक्षाओं में प्राप्त अंकों के आधार पर तैयार की जाती है.
साक्षात्कार
मुख्य परीक्षा के बाद अंतिम चरण व्यक्तित्व परीक्षण होता है. इसमें 275 अंक होते हैं, जो अंतिम योग्यता में जोड़े जाते हैं. इस चरण में उम्मीदवार के व्यक्तित्व, आत्मविश्वास, निर्णय लेने की क्षमता, सोचने की शक्ति, नैतिक मूल्यों और प्रशासनिक क्षमता का परीक्षण किया जाता है. साक्षात्कार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उम्मीदवार योग्य और सक्षम सिविल सेवक बनने के लिए उपयुक्त है या नहीं.
UPSC Rank Wise Posts in Hindi: रैंक और सेवा (IAS, IPS, IFS, आदि) कैसे मिलती है?
यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में मुख्य परीक्षा और साक्षात्कार के अंकों को जोड़कर अभ्यर्थियों की रैंक तय की जाती है. प्रारंभिक परीक्षा (प्रीलिम्स) के अंक इसमें शामिल नहीं किए जाते. जिन अभ्यर्थियों के अंक अधिक होते हैं, उन्हें उनकी वरीयता के अनुसार आईएएस, आईपीएस, आईएफएस आदि सेवाएं मिलती हैं.
सेवा का निर्धारण
सेवा का निर्धारण अभ्यर्थी को प्राप्त रैंक और उसकी वरीयता के आधार पर होता है. उदाहरण के लिए, यदि किसी अभ्यर्थी ने आईएएस को पहली वरीयता दी है और उसकी रैंक बहुत अच्छी है, तो उसे आईएएस सेवा मिलेगी. लेकिन यदि उसकी रैंक थोड़ी कम है और आईएएस की सभी सीटें भर गई हैं, तो उसे अपनी दूसरी पसंद, जैसे आईपीएस मिल सकती है.
कैडर आवंटन प्रक्रिया
आईएएस और आईपीएस अधिकारियों की नियुक्ति अलग-अलग राज्यों में होती है. कैडर आवंटन नियम 2017 के तहत अभ्यर्थियों को एक जोन चुनना होता है और योग्यता और वरीयता के आधार पर उन्हें किसी राज्य (कैडर) में नियुक्त किया जाता है. इस प्रक्रिया में अनारक्षित (सामान्य) और आरक्षित (एससी/एसटी/ओबीसी) श्रेणियों को भी ध्यान में रखा जाता है.
रिक्तियों और आरक्षण की भूमिका
यूपीएससी हर साल विभिन्न सेवाओं के लिए रिक्तियों की संख्या तय करता है. संवैधानिक आरक्षण नीति के तहत, आरक्षण सामान्य, ओबीसी, एससी, एसटी और ईडब्ल्यूएस श्रेणियों पर लागू होता है. यदि आरक्षित श्रेणी का उम्मीदवार सामान्य श्रेणी की मेरिट सूची में आता है, तो उसे अनारक्षित (सामान्य) सीट पर भी नियुक्ति मिल सकती है.
टाई-ब्रेकिंग नियम
यदि दो उम्मीदवारों को समान अंक मिलते हैं, तो मुख्य परीक्षा में अधिक अंक प्राप्त करने वाले को उच्च रैंक दी जाती है. यदि मुख्य परीक्षा के अंक भी समान हैं, तो पहले जन्म लेने वाले उम्मीदवार को वरीयता दी जाती है.
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