
1 या 2 नहीं 4 बार UPSC क्लियर, दिव्यांगता को हराकर बनीं IAS, रुला देगी सक्सेस जर्नी
IAS Success Story in Hindi: जब सपना ऊंची उड़ान का हो तो फिर कोई नहीं रोक सकता. हालांकि इसके लिए मेहनत और प्रयास सही दिशा में जरूरी है. यूपीएससी की परीक्षा लाखों लोग देते हैं और उनमें से कुछ सफल भी होते हैं. हालांकि कुछ की सफलता की कहानी दूसरों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है. ऐसी ही कहानी है इरा सिंघल (Ira Singhal) की जो भारत की पहली दिव्यांग महिला IAS अधिकारी बनीं. उन्होंने 4 बार यूपीएससी क्लियर कर अपने हौसले को उड़ान दी. उनकी सफलता की कहानी आज लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है. आइए जानें यहां विस्तार से.
इरा सिंघल कौन हैं? (UPSC Success Story)
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इरा सिंघल (Ira Singhal) का जन्म उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुआ था और बाद में उनका परिवार दिल्ली में बस गया. वे बचपन से ही पढ़ाई में तेज थीं. उन्होंने दिल्ली के नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की और बाद में एफएमएस (दिल्ली यूनिवर्सिटी) से एमबीए किया.
Ira Singhal क्यों बनना चाहती थीं IAS?
जब इरा छोटी थीं, तब मेरठ में कर्फ्यू लगा करता था. वे अक्सर डीएम (जिलाधिकारी) के आदेशों को रेडियो और टीवी पर सुनती थीं. तभी से उनके मन में डीएम बनने का सपना बस गया. हालांकि वे डॉक्टर भी बनना चाहती थीं, लेकिन पिता ने समझाया कि दिव्यांगता के चलते शायद लोग इलाज करवाने न आएं. इसके बाद उन्होंने IAS बनने का निश्चय किया.
नौकरी छोड़ी, UPSC की राह पकड़ी
इरा (Ira Singhal) ने कुछ समय प्राइवेट नौकरी की लेकिन 2010 में नौकरी छोड़कर UPSC की तैयारी शुरू की. पहले ही प्रयास में IRS (इनकम टैक्स सर्विस) मिला, लेकिन दिव्यांगता के आधार पर उन्हें सेवा में नहीं लिया गया. इरा ने हार नहीं मानी और कोर्ट में मामला लड़ा.
चार बार पास की UPSC परीक्षा
जब कोर्ट में केस चल रहा था, तब इरा ने दो और प्रयास दिए और दोनों बार फिर से IRS मिली. आखिरकार उन्होंने न केवल केस जीता, बल्कि 2014 में जनरल कैटेगरी में टॉप करके IAS बनीं. यह उपलब्धि उन्हें देश की पहली दिव्यांग महिला IAS बनाती है.
हर किसी के लिए प्रेरणा (Ira Singhal Success Story in Hindi)
इरा सिंघल की कहानी हमें सिखाती है कि कोई भी कमी या चुनौती इतनी बड़ी नहीं होती, जिसे हिम्मत और मेहनत से पार न किया जा सके. उनका संघर्ष, आत्मविश्वास और सफलता – हर युवा को न सिर्फ प्रेरित करती है, बल्कि यह भी बताती है कि सपनों को सच करने के लिए सिर्फ जज्बा चाहिए.
यह भी पढ़ें- Success Story: पिता का साथ न मां का हाथ, फिर भी नहीं मानी हार, IIT के सफर के बाद मिली सफलता तो छलके आंसू
यह भी पढ़ें- Success Story: मंत्रों से IIT और ISRO तक उड़ान, गुरुकुल से निकलकर Space Scientist तक ऐसा है गोविंद का सफर
Source link