
RBSE 12th RESULT-2019: Rajasthan Secondary Education Board released 12th Arts examination result, राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने जारी किया 12वीं कला का परीक्षा परिणाम
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सीबीएससी के परीक्षा परिणामों के बाद अब राजस्थान बोर्ड की परीक्षाओं के परिणाम भी आने शुरू हो गए हैं. राजस्थान बोर्ड ने गत 15 मई को 12वीं साइंस व कॉमर्स के परिणाम जारी किए थे. उसके बुधवार को 12वीं कला वर्ग का रिज…और पढ़ें

फोटो : न्यूज 18 राजस्थान ।
सीबीएससी के परीक्षा परिणामों के बाद अब राजस्थान बोर्ड की परीक्षाओं के परिणाम भी आने शुरू हो गए हैं. राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने गत 15 मई को 12वीं साइंस व कॉमर्स के परिणाम जारी किए थे. उसके बुधवार को 12वीं कला वर्ग का रिजल्ट भी जारी कर दिया है. वर्तमान की प्रतिस्पर्धा के इस दौर में पैरेंट्स की अपेक्षाएं आसमान छू रही हैं. सभी पैरेंट्स की इच्छा रहती है कि उनका बच्चा टॉपर्स में शामिल हो, लेकिन ऐसा संभव नहीं होता है.
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प्रतिस्पर्धा के इस दौर में एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ से स्टूडेंट्स काफी दबाव में हैं. बेहतर करियर और प्रतियोगिता के इस युग में खुद को बनाए रखने के लिए वे जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं. माता-पिता की अपेक्षाएं भी बच्चों से जरुरत से ज्यादा बढ़ चुकी हैं. वो ये मानने के लिए कतई तैयार नहीं हैं कि प्रत्येक बच्चे की क्षमताएं अलग-अलग होती है. वे हर हाल में अपने बच्चे को टॉपर के रूप में देखना चाहते हैं. लेकिन यह प्रवृत्ति बेहद खतरनाक है. यह बच्चे का भविष्य बनाने की बजाय बिगाड़ सकती है. उसे प्रोत्साहित करने की बजाय अवसाद में ला सकती है.
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धैर्य बनाए रखें
राजस्थान के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. आलोक त्यागी रिजल्ट के समय को बेहद अहम मानते हैं. उनका कहना है कि यह वह समय होता है जब बच्चों से ज्यादा उनके पैरेंट्स को धैर्य बनाए रखने की जरुरत होती है. पैरेंट्स का परीक्षा परिणाम को लेकर थोड़ा सा भी गलत व्यवहार बच्चे को अवसाद में ला सकता है. लिहाजा इस समय पैरेंट्स को बहुत सावधान रहने की जरुरत है.
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जज ना बनें
बकौल डॉ. त्यागी वर्तमान में लगभग सभी पैरेंट्स बच्चों के करियर को लेकर काफी सजग हैं. सजगता तक तो मामला ठीक है, लेकिन उससे ज्यादा अपेक्षाएं खराब हैं. महज अपनी रेपो को बनाए रखने और सोसायटी में खुद को जरुरत से ज्यादा रेस्पोंसेबल पैरेंट्स साबित करने लिए बच्चों को दबाए नहीं. कम पर्सेन्टाइल आने पर उनके परिणाम पर अनावश्यक कमेंट ना करें. रिजल्ट को लेकर जज ना बनें. बच्चे को लेकर किसी तरह की कोई अनावश्यक नकारात्मक भविष्यवाणियां ना करें. ध्यान रखें यह इस तरह की परीक्षाएं इंसान के जीवन की अंतिम परीक्षा नहीं होती हैं. यह एक पड़ाव है, मुकाम नहीं.
जरा सी चूक से हो सकता है बड़ा नुकसान
डॉ. त्यागी कहते हैं कि वर्तमान में रिजल्ट का समय बेहद संवेदनशील होता है. पैरेंट्स की जरा सी चूक बड़ा नुकसान कर सकती है. जज बनने की बजाय बच्चों के फ्रेंड बनें. उन्हें उत्साहित करें. जीवन के प्रति नजरिया समझाएं. इंसान हर परीक्षा में सफल और अग्रणी रहे यह जरूरी नहीं है. जरूरी है यह कि वह सफल इंसान कैसे बने.
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